हे मेरे परम पूजनीय बाप !
हे मेरे परम पूजनीय बाप !
आखिर कब तक वानप्रस्थ लेंगे आप ?
यदि अभी आप सन्यास ले लेते,
बेटे पर अपने उपकार तो कर जाते |
खांस-खांस कर शोर मचाते और,
नकली दांत कटकता रहें हैं |
रीटायर होने के बाद भी,
कई बर्सों से जी रहें हैं |
रोजाना सेर भर दूध पी रहें हैं,
हम तो कमरतोड़ महँगाई के,
महासंग्राम से जुझ रहें हैं,
और आप घर में बैठे-बैठे,
वेद-पुराण सुना रहें हैं |
बर्सों पुराना सतयुगी ग्यान बाँट कर,
सारे परिवार को क्यों भरमा रहें हैं ?
इस बेरहम संसार में भी,
बोझ बनकर क्यों रह रहे है ?
मेरे ऊपर तो पहले से ही,
घर का पूरा दामोरदार है |
अब तो आपके मरने का,
समय भी निकट आ गया है |
लकड़ी भी बाजार से गायब हुई,
कफ़न दिनोदिन महँगा हो गया है |
कर्ज का बढ़ता बोझ भी तो,
मेरा सर दर्द बढा रहा है |
यदि साल दो चार साल,
और आप रह जायेंगे,
सच मानिये फिर तो हम,
जीते जी मर हीं जायेंगे |
साथी संहाती सभी आपके,
कभी के स्वर्ग चले गए |
मगर आप अभी तक बैठे यहाँ,
मुफत की रोटियां तोड़ रहें हैं |
हो ना हो आपके चमचे भी,
होंगे य़मराज के कार्यालय में,
तभी तो कुछ दे दिला कर अपने,
अपनी फाइल गायब कराई है |
अरे, जीने के लिए भी हाय !
आपकी, कैसी यह बेहयाई है ?
हे ! मेरे बच्चों के दादा,
करबद्ध आपसे प्रार्थना करता हूँ |
अब तो हम पर कृपा करें आप,
शीघ्र वानप्रस्थ करें या सन्यास धरें आप |
हे मेरे परम पूजनीय, हे मेरे बाप,
आखिर कब तक सन्यास धरेंगे अप ?
हे मेरे परम पूजनीय बाप !
लेखक – मनोरंजन कुमार श्रीवास्तव
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