हे मृत्यु…
हे मृत्यु ! है स्वागत तुम्हारा
मैं जब भी मरूं
होंठो पर मुस्कुराहट बनी रहे
पश्चाताप का आवरण हटें,
आत्म संतोष के लक्षण दिखें
मस्तक पे न हो सिकुडन
न हों चिंता की रेखा
तेज चेहरे का हो ऐसा
जैसे लोगों ने जीवित देखा
आओ,जब हो अनुभव हमारा
हे मृत्यु! है स्वागत तुम्हारा ।…१
चार दिन का जीवन है,
झूंठ की अब उम्र ही क्या
कर्म जीवित रह जायेंगे
शेष का अब करना क्या
अपना जीवन जी लिया
अब कोई कर्म करना कैसा
शांत चित्त, संतोष हृदय
अब मृत्यु से डरना कैसा
प्रतिक्षण प्रतीक्षा में बस
अब प्राण हमारा
हे मृत्यु! है स्वागत तुम्हारा ……२
..✍️पंकज पाण्डेय सावर्ण्य