हे मुरली मनोहर
हे मुरली मनोहर मन मेरा कान्हा कर दो तन मेरा राधे रग दो
हे परम अवतार कान्हा , जन्म ले जगती को पाप मुक्त कर दो
बाल रूप में आ मेरे आँगन घर को पावन कर दो
हर रूप में मोहक मोहनि प्राण को सावन कर दो
प्रेम किया जो गोपियों से , उस प्रेम भण्डार से भर दो
चहुँ ओर अज्ञान अनीति का हो रहा है कैसा बोलवाला
अब तो ले अवतार बचा ले अवतार , तू ही है रखवाला
करे अन्याय विरोध , रणनीति वाकपटुता का वर दो
प्रबंध कौशल कैसा हो कैसा हो राजा हमारा
हो राष्ट्र लोकहित में निर्णय ऐसा हो प्रजा पालक हमारा
बुद्धि , विवेक और ज्ञान का स्रोत रहे वो सरोवर दो