हे ! माँ सरस्वती
पूर्ण कर दो मेरी साधना
हे !माँ नमन करूं मैं तुमको
बस इतना ज्ञान दो मुझको
बलिहारी जाऊँ मैं तुम्हारी।
सत् धर्म पर मुझे चलाओ
सत्कर्म करना मुझे सिखाओ
अल्प बुद्धि की पीड़ा हर लो मेरी।
अल्प ज्ञान की मैं हूँ ज्ञाता
अल्प समझ है अभी मेरी
मेरी पीड़ा अल्प विद्या।
विद्या का दो वरदान मुझे
स्वर दो मेरी वाणी को
मुझे त्रुटि हो जाए तो
माफ करो मेरी नादानी को।
श्वेत वस्त्र सा मेरा मन कर दो
उसको सुरमय वाणी से भर दो
मेरे शब्दों को अर्थ देकर
पूर्ण कर दो उनकी साधना।
हरमिंदर कौर, (अमरोहा उत्तर)