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28 Sep 2021 · 1 min read

हे भारत मातृभूमि माता तोर शत् शत् वंदन(कविता)

एहि माटिक गमक सगरो,नव अलख दिखाबय
जाहि माटि जन्म लेलौं, इतिहास लिखिक’ जायब
हे भारत मातृभूमि माता तोर शत् शत् वंदन

समूचा आत्म गैरव मन,सारथि पाहुन ससंगे भेटयै
जखन उठाबी तरूआर,गरिदन चाहे हमरे कटयै
हे भारत मातृभूमि माता तोर शत् शत् वंदन

हम छाया कल्प रामक,अनुज बनि रण ऐबय
माहागाथा सँ सिखू जन्मभूमि रक्षा,बिगुल फुकबयै
हे भारत मातृभूमि माता तोर शत् शत् वंदन

अमर शहिद कहाबि,देह भऽ जायै चाहे सगरो छलनि
भगत सिंह जेहन देशभक्ति,माय नै कनयै तखनि
हे भारत मातृभूमि माता तोर शत् शत् वंदन

प्रेम सनेह बिदाइ होए,जौं गंगाजल कनिको भेटयै
करेज हिया जुरयै ज ,अंत माय आँचाल माटि भेटयै
हे भारत मातृभूमि माता तोर शत् शत् वंदन

एही माटि कें गमक सगरो नव अलख दिखाबय
जाहि माटि जन्म लेलौं इतिहास लिखिक’ जायब
हे भारत मातृभूमि माता तोर शत् शत् वंदन

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
6 Likes · 4 Comments · 410 Views
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