बिटिया (प्रेम की प्रतिमा)
बिटिया (प्रेम की प्रतिमा)
तुम हमारे प्रेम की, साकार प्रतिमा, कल्पनाओं की मधुर, स्मृति तुम्ही हो।
तुम हमारी रुचिर प्यारी, अल्पना हो,
औ विधाता की अनूठी, कृति तुम्ही हो।
सृष्टि का सौन्दर्य, तुममें दीखता है, इन्दु का प्रतिबिम्ब, तुममें दीखता है।
चाँदनी की सुघड़, शीतलता तुम्हीं में,
काव्य का हर छंद, तुममें दीखता है।
हृदय का दर्पण, निछावर है तुम्हीं पर,
देह का कण-कण, निछावर है तुम्हीं पर।
एक तेरे भाग्य की, मुस्कान के हित,
साँस का क्षण-क्षण, निछावर है तुम्हीं पर।
तुम सदा आनंद का, उत्सव मनाओ,
तुम सदा आल्हाद के ही, गीत गाओ।
पुण्य जो हमने किया हो, उम्र भर में,
तुम सदा उस पुण्य का, वरदान पाओ।
इंदु पाराशर