हे प्रभु
कर्तव्य
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जब तक हमारे मन में
सकारात्मक भाव नहीं होंगे
तब तक हम कौन सा कर्तव्य निभायेंगे?
जब तक अपने मन में
कर्तव्यबोध नहीं लायेंगे
कैसे अपना निज कर्तव्य निभायेंगे?
आप क्या, क्यों, कैसे सोचते रहिए
हम तो माँ,बाप,समाज के प्रति
कैसे भी हँसी खुशी
अपना निज कर्तव्य निभायेंगे,
बाद में पछताने से बच जायेंगे
तभी तो आने वाली पीढ़ी को
कर्तव्य पाठ पढ़ा पायेंगे,
समाज, राष्ट्र को योगदान कर पायेंगे
कुछ भी हो,हम तो अपना
निज कर्तव्य निभायेंगे।
@ सुधीर श्रीवास्तव