हे प्रभु ! मेरी भी सुनो !
हे प्रभु ! मेरी भी सुनो !
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हे प्रभु ! मेरी भी सुनो !
अब तुम ही कुछ करो !
दुनिया में कितने दुखी हैं ,
तुम सबके कष्ट दूर करो !!
सबको ही सद्बुद्धि इतनी दो !
कि जीवन का मार्ग प्रशस्त हो !
सब मिल – जुलकर रहें यहाॅं ,
सकल मनोरथ सबके पूर्ण हों !!
जीवन सबका कष्टमय है आज !
तुम सुन लो न सबकी फ़रियाद !
सभी करते हैं सदा तुझको याद ,
तुम भी रख लो न उनका ख्याल !!
बस थोड़ी सी दया-दृष्टि दिखला दो !
जीवन में सही राह सबको बतला दो !
पथ से कभी कोई दिग्भ्रमित ना हों….
सम्पूर्ण जगत ही एकजुट परिवार हो !!
आज अपने भी पराए की तरह हैं !
पराया को भला कौन पूछने वाला !
पर तेरी दया की ही सबको आस है ,
इसी से हो सकता है सबका भला !!
मानवता का सबको पाठ पढ़ा दो….
मानवीय मूल्यों को खूब समझा दो !
सभी एक दूसरे की मजबूरियाॅं समझें ,
सबमें ही अपनत्व का भाव जगा दो !!
ज़्यादातर लोग फ़िज़ूल में ही परेशान हैं ,
उन्हें अनमोल जीवन का अर्थ समझा दो !
वे आज एक दूसरे के ही दुश्मन बन बैठे हैं ,
दिग्भ्रमितों को जीने का मकसद समझा दो !!
इससे ज़्यादा विनती मैं तुझसे क्या करूं ,
भक्तों की अनकही भाषा भी समझो तुम !
इससे पहले कि जग में ॲंधेरा फैल जाए ,
जगत के कल्याण हेतु अब तो जागो तुम !
भक्तों के जीवन-पथ प्रकाशमान करो तुम !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 10 दिसंबर, 2021.
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