हे प्रभु धनूधारी
हे प्रभु धनूधारी
रघूवर जग हीत कारी ।
करे वंदना चरणो की तुम्हारी
हे प्रभु दीन जगत हीतकारी।।
पाषण होत अहिल्या तारी
परशूराम के क्रोध को थावा।
सीता मां से नाता जोडा
जंनक पर आप हुये उपकारी।।
हे प्रभु दीन जगत हीतकारी।
करे वंदना चरणो की तुम्हारी। ।
कैकेयी मात के बात को राखा
लघु भ्राता के मान को राखा ।
दशरथ के प्रभू हुये दुलारे
रघूकुल की किन्ही रघुदारी। ।
हे प्रभु दीन जगत हितकारी
करे वंदना चरणो की तुम्हारी। ।
जगत पिता हो आप सिधारे
करते भक्तो को दुलारे।
सुरजीत भक्त करे आप का गुणगान
करो कृपा उस पे भी महान कारी। ।
हे प्रभु दीन जगत हीत कारी।
करे वंदना चरणो की तुम्हारी। ।