हे पितर देव आशीष शीश पे धरिये।
अभय दान दे गतिमय जीवन करिये
हे पितर देव आशीष शीश पे धरिये।
रक्त आपका दौड़ रहा रग- रग में
पाथेय आपकी सीख बनी है मग में
रोशन करती जो कृपा दीप बन जग में
सब दुःख क्लेश भववाधा मेरी हरिये
अभय दान दे गतिमय जीवन करिये
हे पितर देव आशीष शीश पे धरिये।
तर्पण अर्पण हम विनय भाव से करते
सब भूलों की क्षमा याचना करते
दी शक्ति आपने ही जिसका दम भरते
कर और कृपा मन ओज जोश जस भरिये
अभय दान दे गतिमय जीवन करिये
हे पितर देव आशीष शीश पे धरिये।
अनुराग दीक्षित