” हे पथिक ! “
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हे पथिक तु मत घबरा ,
हृदय को अपने मजबूत बना ।
चलते-चलते रास्ते पर मंजिल बहुत दूर देखा है ,
हर रात के बाद सुबह होते देखा है ।
हे पथिक ! जरा कदम तो उठा ,
हमने भी कांटों में गुलाब खिलते देखा है ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली