हे! देवा…
हे ! देवा,
तुम सर्वप्रथम पूज्य हो
‘गणाध्यक्ष’ तुम कहलाते
विघ्नों का सदा
नाश करो तुम
आदर पूर्वक घर आके
ज्ञान,अर्थ, बुद्धि का
अद्भुत संगम हो
‘गौरीसुत’ तुम कहलाते
जीवन में सदा
प्रकाश करो तुम
धन्य हुए दर्शन पाके
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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