हे कृष्ण
हे कृष्ण….
देवकी के आंचल में आकर
मातृ स्नेह का सुख लिया
और यशोदा के आंगन में
वात्सल्य का छीर पिया
मथुरा से गोकुल तक
का यह सफर तुम्हारी लीला थी
माया का संसार रचा यह
अद्भुत दिव्य सुशीला थी
बचपन से बांसुरी बजाकर
सकल जगत को सुख दीन्हा
गोपी ग्वाल बाल मंडल को
सुख रस से कृतार्थ कीन्हा
राधा को इस प्रेम जगत में
नेह प्रतीक बना छोड़ा
चिर प्रतीक्षा की अग्नि में
जीवन की गति को मोड़ा
परम् योगी बन महाभारत
में गीता का नव ज्ञान दिया
अर्जुन के सारथी खुद बनकर
मद वालों का मद तोड़ा
✍️ सतीश शर्मा