हे कृष्ण तुम कहां हो
सादर प्रेषित
स्वरचित
पिताजी अखबार की खबरें पढ़ते हुए एकाएक बोले,हे भगवान न जाने क्या कुछ और देखना-सुनना लिखा है इस योनि में। मां पूजा अर्चना में व्यस्त थीं। पूजा होने पर वो जैसे ही पिताजी को प्रसाद देने लगी, पिताजी फिर से वही बातें दोहराने लगें और बोले भाग्यवान तुम श्री कृष्ण की इतनी पूजा अर्चना करती हो किन्तु तुम्हारे कृष्ण हैं कहां? आज समाज में नारी की स्थिति अत्यधिक दयनीय व शोचनीय बन चुकी है। नारी उत्पीड़न का सबसे भयावह रूप है कन्या भ्रूण हत्या। इस कलंक को समाज से मिटाने के लिए तुम्हारे तथाकथित विराट स्वरूप वाले, अर्जुन को अंधकार से प्रकाश में लाने वाले कृष्ण कहां हैं? तुम ही गीता में बार बार पढ़ती हो –
“यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत!
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम!!” और कितने पाप वह अधर्म बढ़ने का इंतजार है उन्हें। कंस और दुष्शासनों की हिम्मत और संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
मां-आप शायद भूल रहे हैं कि ईश्वर भी उन्हीं की सहायता करते हैं जो स्वयं प्रयास करते हैं। हम सबने और बुद्धिजीवियों ने देश के विकास के लिए बहुत सी योजनाएं तो बनाईं, परंतु नारी की ओर देखने की पुरुष की दृष्टि पर कभी चिन्तन नहीं किया। यही कारण है कि आज के फिल्मों के गीत, कहानी और व्यवसाय जगत में नारी-अस्मिता की बोली लगाई जाने लगी है। ऐसी विडंबनाओं के चलते अब नारी को पवित्रता की दृष्टि से देखनेवाला समाज का निर्माण कैसे होगा?
फिर कहते है जब-जब धरती पर पाप बढ़ा भगवान ने किसी न किसी रूप में जन्म लेकर उसे रोका। ऐसा ज़रूरी नहीं कि मेेे कान्हा हर सुदर्शन चक्र लेकर ही अवतरित हों,हो सकता है वे हमारी जागरुक विचार धारा के द्वारा या किसी आम आदमी के रूप में प्रयास कर रहे हों।आज हम जहां बेटियों को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। पढ़ाने की, कुछ बनाने की सोच रहे हैं और यह भी अनुभव कर रहे हैं कि बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं। मोदी जी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अलख जगाने के बाद बेटियों के लिए हर क्षेत्र में सरकारी लेबल पर काम हो रहे हैं। कई एनजीओ काम कर रहे हैं। कई लोगों की सोच भी बदली है,
पिताजी-परन्तु फिर भी हम रोज अखबारों, टीवी चैनलों पर नजर डालें या आसपास नजर डालें तो आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आती हैं कि चौंका देती हैं, दिल दहला देती हैं और मुंह से अपने आप निकल आता है- हे भगवान कहां हो, हे कृष्णा कहां हो? फिर चाहे वो चलती बस, ट्रेन में महिला से बलात्कार हो,स्कूल जाने वाली दसवीं की छात्रा का रेप हो।
सोचकर ही दिल कांप जाता कि क्या बीता होगा उन महिलाओं पर जब उनके साथ हैवानियत की गई और उनके घर के सदस्य को भी मार दिया। हे कृष्णा उस समय तुम कहां थे। “हे कृष्ण हे द्रौपदी के सत को बचाने वाले नटवर तुम कहां हो?
नीलम शर्मा