हे कृष्ण कई युग बीत गए तुम्हारे अवतरण हुए
हे कृष्ण कई युग बीत गए तुम्हारा अवतरण हुए
अब आ जाओ फिर से इस धरा पर,
देखो यहाँ सर्व साधन सम्पन्न प्राणियों को भी
तिल-तिल कर घुटते, निराश, अवसाद ग्रस्त
जीवन तो है पर जीवेषणा खत्म हो गई है यहाँ ।
एक बार आकर फिर से सिखा जाओ सबको
विपत्तियों की काठ से बना बांसुरी बजा जाना,
सारी प्रकृति के प्रेम में लिप्त हो निर्लेप हो जाना,
जीवन जैसा भी है स्वीकार कर पूर्णता में जिए जाना।
सब कुछ सदा छूटता ही तो रहा तुमसे
पर नहीं छूटी, तो तुम्हारे अधरों की मुस्कान,
और नहीं छोड़ा अधूरा कोई रिश्ता, कोई कर्तव्य,
हे जीवनदाता ! फिर से जीना सिखा जाओ ना ।🙏