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23 May 2021 · 3 min read

हे इंसान अब तो तू संभल जा

हे इंसान अब तो तू संभल जा
क्या लगी तुझे बीमारी?
क्यूँ लगी तुझे बीमारी!
जिसके कारण तू ऐसे चहकता है,
उसे ही क्यूँ देता गाली l

कर ले.. कर ले तू खुद का ईलाज जरा,
रख ले.. रख लें तू तन मन की लाज जरा l

हे इंसान अब तो तू संभल जा!
क्या लगी तुझे बीमारी?
भूल जाता है कि तू है कुछ भी नहीं,
और सही बात क्यूँ तुझको पचती नहीं?

पढ़ ले.. पढ़ ले तू सच की किताब जरा l
सदा नेक राह चल और ना दूजे को सता l

हे इंसान अब तो तू संभल जा!
क्या लगी तुझे बीमारी?
माना पास जो बचा है यह जीवन है कम l
पुण्य कर्मों से मिटेगा सारा दुःख तेरा ग़म l

कर ले.. कर ले सबसे प्रेम कर ले घृणा से किनारा l
सत्य, विश्वास से बन जा सबके दिल का सहारा l

हे इंसान अब तो तू संभल जा!
क्या लगी तुझे बीमारी?
धन नशे में मगरूर तेरी चाल अकड़वाली l
दुखी निर्धन का तिरस्कार, क्यूँ आदत बना डाली l

खाली हाथ जग में आकर, क्या जाएगा जग से खाली?
तू मीत सबका बन जा, बन जा गीत और कव्वाली l

हे इंसान अब तो तू संभल जा!
क्या लगी तुझे बीमारी?

बनती है उम्मीदों से बिगड़ी हुई किस्मत l
तू भी है खुशनशीब, रहे तुझ पे रहमत l
खुद से भी पूछ तू कभी, क्यूँ आ रही जहमत?
जीते जी ऎसा काम कर के ना लगे तोहमत l

भर लें.. भर लें मन में ठीक शिक्षा यदि तुझको है गवारा l
कर ले हौंसला बुलंद ना भटकेगा मारा मारा l

हे इंसान अब तो तू संभल जा!
क्या लगी तुझे बीमारी?

दिल अपनो का ना कभी भूल से भी टूटे,
रखना ये भी ख्याल ना ही साथ कोई छूटे l
सबकी मेहनत में खुश हो ना भाग्य कोई फूटे,
सबको साथ लेकर चलना और कोई भी ना रूठे l
बोल सदा बोल मीठे ना पढ़ झूठ के क़सीदे
सच की ताकत कर ले हासिल यदि पाने की जिद है l

घर है.. घर है एक दुनिया हम है यहाँ मेहमान
यह भी सच है कि यहां मिटती सबकी मुद्दतों की पहचान
हे इंसान अब तो तू संभल जा!
क्या लगी तुझे बीमारी?

भूलकर तू सब जीवन में जाएगा कहाँ?
बस इबादत से सुंदर बनाता है ये जहान l
राह बेशक हो मुश्किल पर आएंगे मुकाम
रखना खुद पर यकीन है ये हर दिल का काम l
मन से मिटता नहीं अच्छे लोगों का नाम
हर मददगार को दाता देते हैं ईनाम l

ना भूलना..ना भूलना उसे तू जिसने दी तुझे दुआ l
बस दुआओं से दुनिया को सब है हासिल हुआ l

हे इंसान अब तो तू संभल जा!
ना लगे तुझे बीमारी l
ना कर झूठ की सवारी,
यह पड़ेगी तुझको भारी l
दिल से रख सबसे यारी l
हर जिंदगी है प्यारी,
ना बन इसका जुआरी l

जीवन है नाजुक दौर पर,
क्या तुझमें बाकी है यह गौर कर ?
कर चलें विदा जाने किस मोड़ पर,
सभी बंधन तोड़ कर l
मौत सबकी है शिकारी l
आती है सबकी बारी
कर ले ठीक से तैयारी l
भर लें आदतें कुछ न्यारी l
सबकुछ हुआ है महंगा,
हुआ आदमी है सस्ता l
अपने ही गलत कर्मों से,
खुद के जाल में है फंसता l

हे इंसान अब तो तू संभल जा
ना लगे तुझे बीमारी
बात मान ले हमारी l

ना देश बने ख़स्ता
तुम्हें हर दुआ का वास्ता l
अब है यही एक रास्ता
पर है ये सबक कसका
लहू अनमोल है हर एक नस का
छोड़ो हर नशे का चस्का l
और मक्कारी को मस्का
चाहे शहर हो या गांव
सबको है यही पैगाम l
यहां से जाने से पहले
करों खूब नेक काम l
तभी आएगा आराम
तभी पाएगा आराम l

अरे बंदे तू अब तो संभल जा…!
यदि अब भी तू खुदा से नहीं है डरा
इसका मतलब कि तुझमें जहर है भरा l
अगर आदतें तू अच्छी ही अपनाएगा,
तेरा जीवन बनेगा सदा हरा भरा l
अरे बंदे तू अब तो संभल जा…!
ना लगे कोई बीमारी, सेहत भी रहे जारी l
दूर हो सभी लाचारी, बने जिंदगी भी प्यारी l
कर ले.. कर ले तू खुद का ख्याल जरा,
संग दूसरों को भी अपने संभाल जरा l
अरे इंसान अब तो संभल जा…!
ना लगे तुझे कोई भी बीमारी l

– राहुल प्रसाद ? 9213823002
ओपन टॉक समाचारपत्र
(ब्यूरो चीफ़ दिल्ली)
बदरपुर विधानसभा, नई दिल्ली 110044

Language: Hindi
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