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13 May 2024 · 1 min read

हे ! अम्बुज राज (कविता)

हे! अम्बुज राज कहाँ छिपे हो
मानव धरा पर प्यासी है
गाँव-गाँव और शहर-शहर
लोगों में बढ़ी बेचैनी है
हे! अम्बुज राज …..

लोग हैं प्यासे धरा है प्यासी
बाग-बगीचे, खेत भी प्यासी
ताल-तलैया सब सुख गए हैं
प्यासी है जल की रानी
हे! अम्बुज राज…..

काले बदरा घिर आते हैं
ललचा-ललचा फिर चले जाते हैं
अब बतलाओं कब बरसोगे
दूर करो सबकी परेशानी
हे! अम्बुज राज…….

नभ पर जब तुम छा जाते हो
देख कर सब खुश हो जाते हैं
छाकर तुम लुप्त हो जाते हो
करते हो क्यों आंख मिचौनी?
हे! अम्बुज राज……..
हे! अम्बुज राज कहाँ छिपे हो

Language: Hindi
115 Views

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