हे।राम
******* है ! राम ********
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हे ! राम तेरे अनेक नाम।
कण-कण में समाये हैं राम।
तेरे सहारे हम हैं किनारे,
तुम बिना हम हैं बेसहारे,
बिगड़े बनाए सब के काम।
कण-कण में समाये हैं राम।
विनती हमारी सुनो भंडारी,
प्रेम बरसाओ हम आभारी,
तेरा नाम जपें सुबह-शाम।
कण-कण में समाये हैं राम।
तेरी है लीला जग से न्यारी,
तेरी हर रज़ा हमें हैं प्यारी,
प्रभु हमारे सदा सिया राम।
कण-कण में समाये हैं रमल
मनसीरत घुमा सारा ज़माना,
ढूंढा बहुत मिला न ठिकाना,
तन – मन तुम्हारा ही है धाम।
कण-कण में समाये हैं राम।
हे ! राम तेरे अनेक नाम।
कण-कण में समाये हैं राम।
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सुखविंदर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)