“हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आ
“हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आप अपना कह सकें और एकांत में जी भर गुफ्तगू कर सकें”
-©दुष्यन्त ‘बाबा’
“हृदय में कुछ ऐसे अप्रकाशित गम भी रखिए वक़्त-बेवक्त जिन्हें आप अपना कह सकें और एकांत में जी भर गुफ्तगू कर सकें”
-©दुष्यन्त ‘बाबा’