हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
हृदय को भी पीड़ा न पहुंचे किसी के
नमी तक आखों में न पहुंचे किसी के
कर्मों को अपने संतुलित इतना रखिए
जीवन में दुख भी न पहुंचे किसी के
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश