हृदय की वेदना को
हृदय की वेदना को
मन की संवेदना को
जो व्यक्त कर सके
जो विभक्त कर सके
पीड़ा की मुकता को
रिश्तों की चूकता को
वो निःशब्द ढूंढने हैं
समझा सकूं स्वयं को
वो विकल्प ढूंढने हैं।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
हृदय की वेदना को
मन की संवेदना को
जो व्यक्त कर सके
जो विभक्त कर सके
पीड़ा की मुकता को
रिश्तों की चूकता को
वो निःशब्द ढूंढने हैं
समझा सकूं स्वयं को
वो विकल्प ढूंढने हैं।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद