“हृदय ” की एक राखी आपके नाम
आज फ़िर याद आ रही आपकी,
ओ सभी मेरे वर्दीधारी भईया!
भले मैं राखी न बाधूं पर कोई तो बांधें,
सूनी रहें न आपकी कलाईयाँ।
वो विद्यालय में हम सबका मंजुल मोतियों और
रंगीन धागों से राखी बनाने का मौसम आता था।
पर सबसे ख़ास थी वो मेरी चिठ्ठी जिसे पढ़कर ,
मेरे एक सैनिक भईया का फ़ोन आता था।
कभी पुलिस तो कभी फ़ौजी हर साल,
आपके संग ही रक्षाबंधन मनाया है।
उस अश्रुजल को मैंने देखा है जिसे आपनें,
धीरे से अपनी श्वेत रुमाल में छुपाया है।
उस पल मेरे नैंना अश्क थें जब मैं,
महिला पुलिस के सख़्त हाथों में राखी बांधी थी।
वो कैदी भी मेरी यादों में है जिसे राखी बांधतें,
रोता देखकर मैं भी पीछे मुड़कर रोई थी।
वो एनसीसी कैंप का पहला दिन और
राखी बांधनें को भावुक ऑफिसर का मुझें बुलाना।
सुनहरी यादों में है “हृदय” वो 15 अगस्त, 2019
जब वर्दी पहन के ही हुआ था राखी बांधना और बंधवाना।
भारत माँ के सभी शूरवीर सपूतों को
“रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें”
-रेखा “मंजुलाहृदय”