हृदय का स्पन्दन संगीत हो
मन ये गाये जिसे तुम वही गीत हो
इस हृदय में स्पन्दन का संगीत हो
मन की उद्भावना वत्स मानस मेरे
मेरी पूजा का फल प्रीत की रीत हो ।
है समर्पित तुम्हें पूरा जीवन मेरा
मेरी खुशियां तुम्हीं हो तुम्ही प्रेरणा
श्वांस की आस है तब तक तन में रहे
जब तक मिलता रहे प्रेम तुमसे घना।
तूने जीवन मेरा खुशियों से भर दिया
मन के नीरव को तुमने नया स्वर दिया
मन में आता यही क्या मैं प्रतिदान दूँ ?
मेरे भाव प्रवर कैसे उत्थान दूँ ?