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24 Jul 2021 · 1 min read

हूं बेफिक्र सर पे मां का आंचल है

नीले आसमान में तैरता बादल है
हूं बेफिक्र सर पे मां का आंचल है

मुंह फुलाए चौखट पर बैठ जाते है
गुस्से में मासुमियत से ऐंठ जाते हैं
मां पीछे-पीछे खाना लेकर आती है
बाबू -बाबू कहकर पुचकारती है

लापरवाही से खो जाता पायल है
हूं बेफिक्र सर पे मां का आंचल है

ससुराल का दुःख सुना देती हूं
सुलगते मन को ठंडक पहुंचा लेती हूं
तबियत कैसे निहाल हो जाता है
मन हल्का कमाल हो जाता है

सारी कायनात मां का कायल है
हूं बेफिक्र सर पे मां का आंचल है

नीले आसमान में तैरता बादल है
हूं बेफिक्र सर पे मां का आंचल है।

नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला- कुशीनगर

Language: Hindi
1 Like · 326 Views
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