हूं कौन भला!
हूं कौन भला!
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मैं थका हूँ
अपने हार से..
अफ़सोस भी है
पर कौन भला !
यहां कोई हमारा है।
राहों से चला
पर यहां असमंजस है
लेकिन हूँ मैं
उनसे अनजान
कहो भला ।
मैं राही से हूँ
पर हूँ उनसे
गुमनामी भला
न कोई जानता
न है कोई मेरा
मैं ठहरा !
अपने परिणामों से
मैं रूका रूखा-सा
एक आशाओं से
कौन किरणों के ?
किस जाग्रत में
हूँ एक भू से
विगत काल का
तन्हां-सा मुसाफ़िर
किन्तु हूँ ऊर्जावान
निरन्तर काल तलक…
#varunsinghgautam