*हूँ कौन मैं*
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
आसमां से टूटा सितारा हूँ ।
खुदा की खुदाई का मारा हूँ ।
तुमको मिला मुकद्दर समझिए ।
अपनी खुशी की कुंजी समझिए ।
चटपटे मसाले की एक पुड़िया हूँ
लहसुन का सालन मिर्ची की चटनी हूँ ।
गीली छत पे सूखा मसाला हूँ ।
आप का नहीं कांग्रेस वाला हूँ ।
भारत के संविधान में नागरिक हूँ
पाँच साल की वेलिडीटी एक वोट हूँ ।
अनामिका पर लगा अमिट निशान हूँ ।
हाँ जी हाँ मैं एक गरीब किसान हूँ ।
आसमां से टूटा सितारा हूँ ।
खुदा की खुदाई का मारा हूँ ।
शाही पनीर की फूल प्लेट हूँ ।
अमीर की मुर्गी गरीब की स्लेट हूँ ।
बदलती सरकारी निर्देशिका का पन्ना हूँ ।
मैं तो महज एक वी आई पी अन्ना हूँ ।
मौका परस्त नहीं हूँ आप का बाप हूँ ।
पिसता हुआ मेहनती मजदूर अभिशाप हूँ ।
आसमां से टूटा सितारा हूँ ।
खुदा की खुदाई का मारा हूँ ।