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19 Nov 2023 · 1 min read

*हूँ कौन मैं*

डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

आसमां से टूटा सितारा हूँ ।
खुदा की खुदाई का मारा हूँ ।

तुमको मिला मुकद्दर समझिए ।
अपनी खुशी की कुंजी समझिए ।

चटपटे मसाले की एक पुड़िया हूँ
लहसुन का सालन मिर्ची की चटनी हूँ ।

गीली छत पे सूखा मसाला हूँ ।
आप का नहीं कांग्रेस वाला हूँ ।

भारत के संविधान में नागरिक हूँ
पाँच साल की वेलिडीटी एक वोट हूँ ।

अनामिका पर लगा अमिट निशान हूँ ।
हाँ जी हाँ मैं एक गरीब किसान हूँ ।

आसमां से टूटा सितारा हूँ ।
खुदा की खुदाई का मारा हूँ ।

शाही पनीर की फूल प्लेट हूँ ।
अमीर की मुर्गी गरीब की स्लेट हूँ ।

बदलती सरकारी निर्देशिका का पन्ना हूँ ।
मैं तो महज एक वी आई पी अन्ना हूँ ।

मौका परस्त नहीं हूँ आप का बाप हूँ ।
पिसता हुआ मेहनती मजदूर अभिशाप हूँ ।

आसमां से टूटा सितारा हूँ ।
खुदा की खुदाई का मारा हूँ ।

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