हुस्न
अपने हुस्न का नशा कुछ इस तरह चढ़ा उनपर ।
रोज़ आईने में चाँद को निहारने लगे।
ना पता था उन्हें कि चाँद ही था नसीब में
तभी वो हमारे सपने सजाने लगे
अपने हुस्न का नशा कुछ इस तरह चढ़ा उनपर ।
रोज़ आईने में चाँद को निहारने लगे।
ना पता था उन्हें कि चाँद ही था नसीब में
तभी वो हमारे सपने सजाने लगे