हुस्न खजाना
ऐसे बदला है जीवन को, हर घावो को सुखा दिया l
शुक्र! खुदा ने पैदा करके, हुस्न – खजाना लुटा दिया ll
जो मै पूंछु, ऐ मेरे मौला, ऐसा तूने क्यू कर किया?
अलंकारिक रचके उनको, मद ममता से जोड़ दिया ll
कभी किसी ने रुला के मारा, अब हँसा के हमको जिला दिया l
दुःख दर्दी की नीरसता को, जाम हुस्न का पिला दिया ll
किसी से लेना किसी को देना, ताल मेल कुछ बना दिया l
हसीन बंटा है चांदनी में, पर नीरस तिमिर से जुड़ा दिया ll
जो करनी कर आये पीछे, उसी राह पर चला दिया l
हमको अपना बना के तुमने, गमो में हसना सिखा दिया ll
ऐसा मिल गया हुस्न खजाना, मय, मद, माया भुला दिया l
“संतोषी” सुख दुःख में बनना अलख निरंजन सिखा दिया ll
हुस्न खजानों के चिन्हों से, हमने तुम्हे पहचान लिया l
देकर हमको जीवन बूटी, हर जन्म ख़ुशी एहसान किया ll