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15 Nov 2023 · 1 min read

हुस्न उनका न कभी…

हुस्न उनका न कभी दिल से बिसारा जाए
वक़्त कैसे बिना महबूब गुजारा जाए

जब वो नज़रों के ही पैग़ाम को पढ़ लेते हैं
सोचता हूँ भला क्यूँ लब से पुकारा जाए

इश्क़ में उनके मैं मदहोश पड़ा रहता हूँ
ये नशा वो है जो दिल से न उतारा जाए

मनचलों की सदा खिड़की पे नज़र होती है
उनसे कहिए कि न यूँ ज़ुल्फ़ सँवारा जाए

आशिक़ी में ही मैं ‘आकाश’ लगा रहता हूँ
मेरे जज़्बात को ना और उभारा जाए

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 13/11/2023
___________________________
मापनी- 2122 1122 1122 22/112

2 Likes · 72 Views
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