हुनर
हुनर
गूंथे जाते है माला में पुष्प वही
हर मौसम में खिलने का जो हुनर जानते है ।।
मुरझाये पुष्प स्वयं ही अक्सर,
शाखाओ से टूटकर बिखर जाया करते है ।।
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डी. के. निवातियाँ ??
हुनर
गूंथे जाते है माला में पुष्प वही
हर मौसम में खिलने का जो हुनर जानते है ।।
मुरझाये पुष्प स्वयं ही अक्सर,
शाखाओ से टूटकर बिखर जाया करते है ।।
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डी. के. निवातियाँ ??