ग़ज़ल _ मैं रब की पनाहों में ।
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
इत्तिफ़ाक़न मिला नहीं होता।
तुम्हारी सब अटकलें फेल हो गई,
दुनियां में सब नौकर हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
वो जो मुझसे यूं रूठ गई है,
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
॥ संकटमोचन हनुमानाष्टक ॥
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
गीत सुनाता हूं मरघट के सुन पाओगे।
आज तो मेरी हँसी ही नही रूकी
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
*पहले-पहल पिलाई मदिरा, हॅंसी-खेल में पीता है (हिंदी गजल)*
ऊपर वाला जिन्हें हया और गैरत का सूखा देता है, उन्हें ज़लालत क
प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू