हुनर पा गया हूं
मैं बेघर था पर , एक घर पा गया हूं
समंदर में उठती लहर पा गया हूं
मुझे कुछ भी कह लो हो आजाद लेकिन
जुदा तुमसे होकर हुनर पा गया हूं
शक्ति त्रिपाठी देव
मैं बेघर था पर , एक घर पा गया हूं
समंदर में उठती लहर पा गया हूं
मुझे कुछ भी कह लो हो आजाद लेकिन
जुदा तुमसे होकर हुनर पा गया हूं
शक्ति त्रिपाठी देव