हुक्म
हवाओं को मिला है हुक्म ये
कि उस जानिब नहीं बहना उन्हें
जिधर उम्मीद का बादल घिरा है
सितम कैसा हवाओं पर हुआ है
लहर को छू नहीं सकती
घटा से मिल नहीं सकती
दख़लअंदाजी सूरज के सफ़र में
कर नहीं सकती
हवाओं को मिला है हुक्म ये
कि अब बारिश नहीं होगी
जलेगी ये जमीं बेहिस
औ बादल के यहाँ
कोई भी सुनवाई नहीं होगी ✍️