हुआ है अच्छा ही, उनके लिए तो
हुआ है अच्छा ही, उनके लिए तो।
उनसे रहूँ मैं दूर, उनके लिए तो।।
उनको नहीं है वैसे, जरूरत भी मेरी।
कुछ भी हो मेरे साथ, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही ——————।।
लगता नहीं अच्छा, उनसे मेरा मिलना।
हाल अपने दिल का, उनसे मेरा कहना।।
बताते हैं मुझको वो, अपनी मजबूरियाँ।
रहूँ चाहे मुसीबत में, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही ——————-।।
बन गए नये रिश्तें, उनकी जिंदगी के।
नहीं अब हिस्से हम, उनकी बन्दगी के।।
खलल हमसे होता है, उनकी जिंदगी में।
बुझे चाहे मेरे चिराग, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही ——————-।।
उनकी जैसी नहीं फिर, मेरी भी हस्ती।
मेरी जिंदगी है उनसे, बहुत ही सस्ती।।
नहीं मैं लायक अब, उनकी नजर में।
मिटे चाहे मेरा जीवन, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)