हुआ बेमज़ा है मज़ा आज मुझसे -ग़ज़ल
ग़ज़ल
हुआ बेमज़ा है मज़ा आज मुझसे ।
किसी ने कहा अनकहा आज मुझसे ।
जिसे इश्क़ की ए बी सी डी सिखाई,
वही कर रहा है दग़ा आज मुझसे ।
चढ़ा गिरगिटी रंग चेहरे पे शायद,
तभी आईना है ख़फ़ा आज मुझसे ।
रहा दरम्याँ दर्द धोखे के चलते ,
कि फिर एक धोख़ा हुआ आज मुझसे ।
ज़माना रहा मुझसे बेख़ौफ़ हरदम,
मगर मेरा दिल ही डरा आज मुझसे ।
पता है जमाने को जब मेरी आदत,
ये फिर क्यूँ जमाना जला आज मुझसे ।
बुरा मैं कहूँ तो कहूँ किसको रकमिश,
मिला कोई भी न बुरा आज मुझसे ।
– रकमिश सुल्तानपुरी