हुआ दर्द से प्यार
🦚
हुआ दर्द से प्यार
————————
तुम्हीं बताओ कैसे तोड़ूँ
किये हुए अनुबंध ?
–
आँखें खोलीं मिली पाॅव को
दलदल की सौगात,
सीख लिया तब से नयनों ने
जगना सारी रात ,
उठने लगी पीर से मादक
मोहक मधुर सुगंध ।
–
पथरीली राहें पाॅवों में
पड़ीं अनेकों ठेक,
संघर्षों का साॅझा चूल्हा
रहा उन्हें था सेक,
जुड़ा पसीने का पीड़ा़ से
मिसरी सा संबंध ।
–
साथ चले फिर गये छोड़कर
नदिया के मॅझधार,
जैसे-तैसे बाहर आये
बैठे हैं इस पार,
अब कुछ झुके हुए से लगते
तने-तने से स्कंध ।
–
और वज़न कुछ बढ़ा शीश पर
लेता दर्द हिलोर,
कितनी दूर और रजनी से
होगी सुंदर भोर ,
साॅसें थोड़ी़ इनी-गिनी सी
टूटेगा फिर बंध ।
–
साथ पुराना दर्द लगे अब
अपना मुझको यार,
टीस उठे तो लगता उसने
जतलाया है प्यार,
अंत समय तक साथ निभेगा
अनुपम हुआ प्रबंध ।
***
🌹
-महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🌳🌳🌳