ग़ज़ल (हुआ असर उनसे रू ब रू का)
अजीब मंज़र ये कू ब कू का
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हुआ असर उनसे रू ब रू का
ये रंग रोशन जो मू औ रू का
भरी है नफ़रत दिलों मे हरसू
नही हैं मतलब वहां वज़ू का
खुले दरीचे भी तंगदिल हैं
अजीब मंज़र ये कू ब कू का
लगे ये आलम बड़ा ही प्यारा
असर हुआ उन से गुफ़्तगू का
तुम्हारे दिल मे हमारी चाहत
असर ये लाजिम है आरज़ू का
ये रागिनी गुनगुना उठी है
नशा कहाँ ऐसा’ है सुबू का
डॉक्टर रागिनी शर्मा
इंदौर