हुंकार
कई छिपे गद्दार कन्हैया से घर में
कई ज़ाकिर कई मीर है
कहीँ सत्ता लोलुप आँखों में लालच की दिखती लकीर है
तक्षशिला को खो दिया कुछ जे.एन.उ.के आकाओं ने
किंतु अब भी चेतक भाला राणा का औ पृथ्वी के तीर है
ऐ पाक चीन है तुम्हे चुनौती
ज़न्नत मेरी कश्मीर है
लाख करो कोशिश मिल तुम दोनों
नहीं हरे द्रौपदी चीर है
है रक्त उबलता अब्दुल हमीद का सीमा पर
हर योद्धा भारत का भरी तुम पर,हर हुंकार बनी शूरवीर है
सादर भेंट