हुंकार
आज तुम्हारे सर पर भी तलवार पड़ी है।
रहे अगर तुम सोए तो फिर मौत खड़ी है।।
नही जगे तो देखो फिर पछताना होगा।
भगे अगर तुम छोड़ देश तो जगह ना होगी।।
हिंदी हिंदू हिंदुस्तान पर खतरे को भापो।
गृहयुद्ध से पहले अपने अन्दर तो झाँको।।
हसी मजाक मे ना लो ये साजिश है पूरी।
चली अगर ये बात तो जानो संकंट है पूरा।।
आँखे खोलो पहचानो दुश्मन को अपने।
हमसब को जो बाट रहे दुश्मन है अपने।।
कायरता का चोला त्यागो है वीरो के वंशज।
देश धर्म को आज बचालो ओ वीरो के वंशज।।
आज अगर तुम आँख खोल कर सोए रहोगे।
आने वाली पीढ़ी को तुम फिर क्या कहोगे।।
धर्मयुद्ध का आगाज तुम्हे अब करना होगा।
कोई नही है ध्यान तुम्हे अब धरना होगा।।
मां बहनो की लाज की खातिर अब लड़ना होगा।
देश धर्म की खातिर आज तुम्हे तो बढ़ना होगा।।
हिन्दू हिन्दू भाई हमे यह समझना होगा।
बहकावे से पहले हमको बचना होगा।।
मातृभूमि को और नही अब कटना होगा।
कटे हुए हिस्से को अब तो जुड़ना होगा।।
ललित लालसा त्याग तुम्हे अब डटना होगा।
ललकार तुम्हे अब शत्रु पर भी चढ़ना होगा।।
हुंकार भरो ताकत तो अपनी दिखलानी होगी।
विश्व पटल पर पहचान अलग अब बनानी होगी।।
ललकार भारद्वाज
09 अगस्त 2024
स्वरचित