हीरे की परख
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आजकल नसीहतों का असर इसलिए भी नहीं होता की लिखने वाले और पढने वाले दोनों इतने समझदार हो गए हैं की दोनों को लगता है की ये दूसरों के लिए है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कोई भी धर्म -जाति गलत या नीच नहीं होते परन्तु हर धर्म में अधर्मी और जाति में नीच व्यक्ति जरूर होते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब भी कोई हँसता -गाता -उछलता -खेलता व्यक्ति अचानक से ख़ामोशी धारण कर ले तो समझ जाना चाहिए की वो व्यक्ति अब दर्द सहता सहता थक चुका है …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की अगर हीरे की परख करनी है तो अँधेरे का इंतज़ार करना चाहिए क्यूंकि धूप में तो कांच के टुकड़े भी चमकते हैं ,मतलब की कौन आपके साथ है -कौन अपना कौन पराया ये आपके गलत समय पर ही पता चलता है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान