Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2024 · 1 min read

हिसाब सबका होता है

हिसाब सबका होता है
बस थोड़ा समय लगता है
_ सौम्या

35 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sonam Puneet Dubey
View all
You may also like:
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
"" *ईश्वर* ""
सुनीलानंद महंत
सत्य की खोज
सत्य की खोज
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सब से गंदे चुस्त चालाक साइबर चोर हैँ
सब से गंदे चुस्त चालाक साइबर चोर हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"जिद और जुनून"
Dr. Kishan tandon kranti
*जय सियाराम राम राम राम...*
*जय सियाराम राम राम राम...*
Harminder Kaur
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
SPK Sachin Lodhi
शासन अपनी दुर्बलताएँ सदा छिपाता।
शासन अपनी दुर्बलताएँ सदा छिपाता।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
स्वीकारोक्ति :एक राजपूत की:
स्वीकारोक्ति :एक राजपूत की:
AJAY AMITABH SUMAN
*धरा पर देवता*
*धरा पर देवता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जिनके घर खुद घास फूंस के बने हो वो दूसरे के घर में माचिस नही
जिनके घर खुद घास फूंस के बने हो वो दूसरे के घर में माचिस नही
Rj Anand Prajapati
प्राप्त हो जिस रूप में
प्राप्त हो जिस रूप में
Dr fauzia Naseem shad
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
🙅अचूक नुस्खा🙅
🙅अचूक नुस्खा🙅
*प्रणय प्रभात*
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
कहर कुदरत का जारी है
कहर कुदरत का जारी है
Neeraj Mishra " नीर "
।। लक्ष्य ।।
।। लक्ष्य ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
रात नहीं आती
रात नहीं आती
Madhuyanka Raj
कुछ तो उन्होंने भी कहा होगा
कुछ तो उन्होंने भी कहा होगा
पूर्वार्थ
लक्ष्य गर समक्ष है तो
लक्ष्य गर समक्ष है तो
अर्चना मुकेश मेहता
3300.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3300.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
नेताम आर सी
दूसरों के दिलों में अपना घर ढूंढ़ना,
दूसरों के दिलों में अपना घर ढूंढ़ना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बम
बम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खत्म हो चुका
खत्म हो चुका
sushil sarna
अछूत
अछूत
Lovi Mishra
"एक विचार को प्रचार-प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है
शेखर सिंह
कैसे भूले हिंदुस्तान ?
कैसे भूले हिंदुस्तान ?
Mukta Rashmi
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
ये तो दुनिया है यहाँ लोग बदल जाते है
shabina. Naaz
*किसी कार्य में हाथ लगाना (हास्य व्यंग्य)*
*किसी कार्य में हाथ लगाना (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
Loading...