हिल-मिल मन लेकर बैठे
खत को खत लेकर बैठे
कुछ गुपचुप लेकर बैठे
भूली बिसरी सी मीठी
गुड़ -पेडी लेकर बैठे
अपना कहने दिल करता
हिल-मिल मन लेकर बैठे
रब ने परदा झूठ उठा
यूँ मैं ठगा, लेकर बैठे
बैठ डोली सुसराल आई
मायका को लेकर बैठे
दीप लौ जगमगई प्रीत की
प्रेम, दीपक लेकर बैठे
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा