हिल मिल के रहै जाह
हिल मिल के रहै जाह
हौ सब कोई हिल मिल के रहै जाह
एक देसरा संग गारा मिल रहै जाह.
की धर्म जाति के नाम पर लड़ै जाइ छह?
बेमतलबो खून खूनामे नै करै जाह?
हौ की भेटतह एक दोसरा के खून बहा के?
की बांचल रहतह? तोरा लक की रहतह?
कोनो जाहिल धर्मगुरू की नेता के कहला पर
कखनो मानवता के सत्यानाश नै करै जाह?
कमा खटा मेहनत क मुनुक्ख बनि जीबह.
अपनो जीयह अनको जीबह दहक.
हिल मिल आफत विपत मे संग रहअ
देखबहक जिनगी जीबाक की आनंद भेटतह.
कखनो धर्मक नाम त कखनो जातिक नाम पर
खून खूनामे लै किए आतुर भऽ जाई छह?
हौ की भेटतह धार्मिक उन्माद पाखंड सब स?
मनुक्खे दोसर मनुक्ख समाज के नोकसान नै करह
हौ ईशवर अल्ला वाहे गुरू जीसस बौद्ध जैन मुनी
सबटा एक्के छियैअ ओकर रूपे टा अलग छै?
मानि लै कारीगर के बात,सब मिल करह मानव कल्याण.
हौ लोक समाज मे सब हिल मिल रहै जाह.
बंधुत्व भाईचारा समाजिक निसाफ के गिरह
कोई भड़काबह तइओ किन्नौ नै तोरैह जाह.
मनुक्ख समाज गाछ बिरिछ प्रकृति माल जाल
सब एक दोसरा संग हिल मिल रहै जाह.
कवि- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)
19/03/2022