हिम्मत
मुश्किलों से निकलने को कुछ तो तैयार रखो,
हाथों में मशाल ना सही,एक चिराग रखो,
तुम अपने बच्चों की एक झलक को तड़प जाओगे,
अगर नहीं, तो तुम अपने मां – बाप का भी खयाल रखो,
हर मुकाम मुक्कमल होता नहीं सोचने पर,
उसे पाने को हर वक्त अपने दिल में एक आग़ रखो,
लोग कुछ भी कहें उसकी परवाह ना कर,
मंज़िल उची हो,और मन में उसे पाने को खयाल रखो,
दुनियां में इतना भी ना मशगूल हो जाओ,कि खुद को भूल जाओ,
ज़िन्दगी में कुछ पल ही सही अपना भी तो खयाल रखो।