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2 Mar 2022 · 1 min read

हिमालय और नदी

चित्राधारित रचना

गीतिका छंद

आ हिमालय की गोद से, स्वगति बहने दीजिए।
स्वछंद कल-कल प्रवाह से, मधुर धारा दीजिए।

सांझ बेला ढलता दिवस, रैन रुकने दीजिए।
उड़ते पवन पे मेघ नभ, तनिक सरका दीजिए।।

दल कमल से धवल पर्वत, नैन भर रस पीजिए।
बहती नद नील नीर की, अंजुली भर-भर पीजिए।।

लेके रंग रवि किरण से, नूर छिटका दीजिए।
बसते तट नद जीव जन्तु, जीवन रस भर दीजिए।।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

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