हिन्द के ओ वीर लाल
हिंद के ओ वीर लाल, खत्म करो अंधकार
निज हाथों हमें हिंद, भाग्य लिख देना है ,
पाकियों के झुंड मार , चीनियों को नीचे गाड़
शत्रु शीश काट कर , रण जीत लेना है
शस्त्र धुंधुंकार करे, काल बन मार करे
नाचो ऐसे रण में कि, प्रलय की सेना है,
भय बिन प्रीत नहीं, वध बिन जीत नहीं
पार सीमा पीओके में, जय हिंद होना है
चहुं ओर जय रहे, मस्तक अजेय रहे,
प्रण है कि भारत को, विश्व गुरू होना है
वर्ग कोई क्रुध रहे, मन भले शुद्ध रहे,
ऐसे अनुमानों को भी , अपनत्व देना है
क्रूर यहां युद्ध हुए, फिर यही बुद्ध हुए
माटी नहीं केवल ये ,कण कण सोना है
प्रेम प्रीत लिखो कहो, हास्य में भी डूबो बहो
भूलो नहीं बात पर, कि देश संजोना है
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार