हिन्दू-मुस्लिम
पर्व दीवाली के अवसर, मुस्लिम भी दीप जलाता है भाई।
बड़े खुशी से हिन्दू ने मिल, जुल मुस्लिम संग झारी है गाई।।
शंख नाद की ध्वनि भी सबको, स्वच्छ वायु देती है आई।
मस्जिद के अजानों ने हिन्दू को, भी है भोर में जागना सिखाई।।1।।
अब्दुल बिस्मिल भगत शेखर, मंगल खुदी ने जान गँवाई।
संग संग हिन्दू मुस्लिम लड़कर, रक्त बहा आजादी है पाई।।
भारत माँ बिन भेद किये, दोनों का लाल लहू है बनाई।
चंद लोगों ने स्वारथ बस, हिन्दू मुस्लिम बीच खोदी है खाई।।2।।
ईद मुबारक ईद मुबारक, हर्षित हिन्दू कहता है आया।
और मुस्लिम भाई हिनदू संग, होली में बैठ के गुछिया है खाया।।
गुरु की महिमा में रहकर, मुस्लिम नें गीता का पाठ पढ़ाया।
गुरु पंडित सामाजिक ज्ञान का, हिन्दू को भी है कलमा रटाया।।3।।
आग लगी जब हिन्दू निकेतन, मुस्लिम भी दौड़कर पानी है लाया।
डूबते मुस्लिम को हिन्दू भी, तैरके बाहर ला जान बचाया।।4।।
भेद भाव तुम अब तो त्यागो ये, कवि अशोक ने पाठ पढ़ाया।
कुर्सी खातिर कुछ लोगों ने, हमको तुमको है लड़ना सिखाया।।5।।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.