हिन्दू – मुस्लिम
हम तो खामखां ही एक समझ बैठे थे
फिर आज पता चला हम तो अलग अलग थे ।
वो हिन्दू था …मैं मुस्लिम था
ये सिख था …वो ईसाई था
हमें लगा वो हम सबमें हिंदुस्तान ढूंढते थे
पर वो तो हिन्दू और मुसलमान ढूंढते थे ।
किसने कहा सब एक है …किसे दिख रहा यहाँ
हिन्दू मुस्लिम सब अलग है बांट दिया है जहाँ तहा ।
वेश भूषा से पहचाने जाते है अब लोग यहाँ
हिन्दू मुस्लिम करके सब करते है ढोंग यहाँ ।
वो जमीं बोलकर हमेशा आसमान देखते थे
इंसां को इंसां नही वो हैवान देखते थे ।
और हमें लगा वो मुझमें हिंदुस्तान देखते थे
पर वो तो हिन्दू और मुसलमान देखते थे ।
– हसीब अनवर