हिन्दुस्ताँ के लिए।
काश मैं मर जाऊं मेरे अपने वतन हिन्दुस्ताँ के लिए।
कुछ कर जाऊं अपनी जमीं अपने आशमाँ के लिए।।1।।
धरती है ये भगत,आजाद और वीर अब्दुल हमीद की।
अहसास ही है ये काफी बता दो दुश्मनोें की जाँ के लिए।।2।।
नमाजोें का तो पढ़ना हैैं मेरे अपने रूहे सुकूं के लिए।
पर मेरे हर इक सज्दे में है दुआ मेरे हिन्दुस्ताँ के लिए।।3।।
मौत पर मेरी मुझको पहनाना कफन मेरे तिरगें का।
ताकि मेरी भी जवानी काम आये जोश-ए-जवाँ के लिए।।4।।
मत करो शक मेरी वतन परस्ती पर ऐ सियासत दानों।
देखना एक दिन मौत आयेगी मेरी भारत माँ के लिए।।5।।
मत करो तुम मैला जमीर को ये धुलता नहीं कहीं।
मिलकर रहना अच्छा होता है दुनियाँ मे इन्साँ के लिए।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ