हिन्दी
बढी खूब साख ताज, हिंद का है हिंदी आज,
भाषा पर नाज मन, मीत होना चाहिए।
छाई हर देश मन, भाई नर नेक अब,
बने देश भाषा ये , प्रयास होना चाहिए।
एक सूत्र बांधकर, सबको बनाती एक,
बात पूरी मीत मन, ठान लेनी चाहिए।
पर भाषा मोह छोड, जोड निज भाष मन,
विश्व शीश चढाकर ही, दम लेना चाहिए।
अशोक छाबडा
14112016